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प्रकृति ने प्रत्येक प्राणी को एक ऐसी ऊर्जा दी है जो उसे मौसम के प्रभाव से बचाती है। प्रकृति द्वारा मानव-शरीर को भी ऐसी ही ऊर्जा दी गई है। सर्दी से बचने के लिए हम गर्म वस्त्र पहते हैं। क्या आप जानते हैं कि "गर्मी" वस्त्र मे नही बल्कि शरीर मे होती है। हमारे शरीर मे ऊर्जा का विशाल भण्डार होता है। यही हमे मौसम के प्रभाव से बचाता है।

सर्दी के मौसम मे हमे शरीर को गर्म रखने के  लिये ऊर्जा की अवश्यकता होती है। इस ऊर्जा को बनाए रखने के लिये प्राणायाम एक प्रभावी क्रिया है। प्रस्तुत लेख में बताया जायेगा कि सर्दियों में ऊर्जा देने वाले प्राणायाम। Pranayam for winter. क्या हैं? और कैसे करें?

विषय सुची :-

  • प्राणायाम का शरीर पर प्रभाव।
  • सर्दियों मे ऊर्जा देने वाले दो प्राणायाम।
  • ऊर्जा दायक प्राणायाम भस्त्रिका।
  • ऊर्जा दायक प्राणायाम सूर्यभेदी।
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सर्दियों में प्राणायाम ऊर्जा दायक हैं।

आपने कई ऐसे साधू-सन्यासियों को देखा होगा जो कम वस्त्रों मे रहते हैं। बर्फीले-क्षेत्रों मे भी कई सन्यासी मिल जायेगे जो मौसम की विषम प्रस्थितियों से प्रभावित नही होते हैं। क्या आप जानते है कि इसका क्या कारण है? इसका कारण है, शरीर की ऊर्जा-शक्ति। 

यह सही है कि योग की उस स्थिति तक हमारा पहुँचना थोङ कठिन हैं। लेकिन नियमित योग द्वारा हम अपने शरीर को मौसम के दुष्प्रभाव से बचा सकते हैं। आगे इस लेख मे ऐसे 2 विशेष प्राणायाम का वर्णन किया जायेगा जो सर्दियों मे ऊर्जा दायक हैं। लेकिन पहले यह जान लेते है कि "प्राणायाम" शरीर को कैसे प्रभावित करता है। 

प्राणायाम का शरीर पर प्रभाव।

हमारे शरीर में प्रकृति द्वारा दी गई "ऊर्जा" विशाल मात्रा मे होती है। लेकिन यह  सुप्त अवस्था मे होती है। योग द्वारा इसे जागृत किया जा सकता है। इसको जागृत करने के लिये प्राणायाम एक महत्वपूर्ण क्रिया है। 

सर्दी के मौसम मे कुछ प्राणायाम ऊर्जा देने वाले व लाभकारी होते है। इनको शरद ऋतु मे अवश्य किया जाना चहाए। 

शरद ऋतु मे ऊर्जा देने वाले प्राणायाम।

प्राणायाम प्रत्येक मौसम मे किये जाने वाली क्रिया है। चाहे कोई भी मौसम हो प्राणायाम को नियमित किया जाना चहाए। लेकिन कुछ प्राणायाम शरद ऋतु मे अधिक लाभकारी होते हैं। क्योकि ये इस मौसम मे शरीर को गर्मी देने वाले होते हैं। इसलिये इनको शरद ऋतु मे अवश्य करना चहाए।

इस आलेख मे ऊर्जा देने वाले 2 प्राणायाम का वर्णन किया जायेगा। 

1. भस्त्रिका प्राणायाम।

यह शरद ऋतु मे किया जाने वाला उत्तम प्राणायाम है। यह केवल शरद ऋतु में ही करना चहाए। गर्मी के मौसम मे यह प्राणायाम वर्जित है। सर्दी के मौसम मे यह ऊर्जा देने वाली क्रिया है।

प्राणायाम विधि :-

यह प्राणायाम तीन चरणों मे किया जाना चहाये। भस्त्रिका करने के बाद उज्जायी प्राणायाम करना अधिक लाभकारी है।

प्रथम चरण :--

  • पद्मासन या सुखासन मे बैठें।
  • रीढ व गरदन को सीधा रखें आँखे कोमलता से बंध करें।
  • बाँया हाथ बाँये घुटने पर रखें।
  • दाँये हाथ से प्राणायाम मुद्रा बना कर नासिका के पास ले आये। (प्राणायाम मुद्रा :- दाँये हाथ के अंगूठे के साथ वाली दो उँगलियाँ मोङ लें। अँगूठा नासिका के दाँयी ओर तथा दो सीधी उँगलियाँ नासिका के बाँयी तरफ रहें।)
  • बाँयी नासिका बंध करें। (बाँयी नासिका का सम्बंध चंद्रनाङी से है। यह शीतलता देने वाली तथा सूर्यनाङी से संतुलन करती है)
  • दाँयी नासिका से श्वास गतिपूर्वक लें और छोङे।(दाँयी नासिका का सम्बंध सूर्यनाङी से है। यह शरीर को गर्मी देती है तथा चंद्रनाङी को संतुलित करती है)
  • अपनी क्षमता के अनुसार आवर्तियाँ करे। अंत मे दाँयी तरफ से लम्बा-गहरा श्वास भरें और बाँयी तरफ से श्वास खाली करें। दाँया हाथ नीचे ले आँये। श्वास सामान्य करें।
  • श्वास सामान्य होने के बाद यही क्रिया बाँयी नासिका से करें। दाँयी नासिका बंध  करके बाँयी नासिका से गतिपूर्वक श्वास ले और छोङे। क्षमता अनुसार आवर्तियाँ करे। अंत मे बाँयी ओर से लम्बा-गहरा श्वास भरें। और दाँयी तरफ से श्वास खाली करें।
  • हाथ नीचे ले आँये। श्वास सामान्य करें। 

दूसरा चरण :--

दूसरे चरण मे जाने से पहले श्वासों को सामान्य कर ले। श्वासों के सामान्य होने के बाद ही दूसरे चरण मे जाँये। यह क्रिया सूर्यनाङी से आरम्भ करे और इसी पर समापन करें। इस क्रिया मे दाँये पूरक व बाँये से रेचक, फिर बाँये से पूरक व दाँये से रेचक करें। यह क्रिया गतिपूर्वक करें।

  • श्वास सामान्य होने के बाद दूसरा चरण करें।
  • बाँया हाथ बाँये घुटने पर रखें।
  • दाँये हाथ से प्राणायाम मुद्रा बना कर नासिका के पास ले आँये।
  • गतिपूर्वक दाँये से श्वास ले और बाँये से छोङें।
  • बाँये से श्वास भरे, दाँये से खाली करें।
  • इस प्रकार चार-पाँच या क्षमता अनुसार आवर्तियाँ करें। अंत में दाँयी तरफ से श्वास खाली करते हुये वापिस आ जाँये।
  • वापिस आने के बाद श्वास सामान्य करें।

तीसरा चरण :--

भस्त्रिका प्राणायाम का यह तीसरा चरण बहुत महत्वपूर्ण है। इस क्रिया में दोनों नासिकाओ से श्वास तीव्र गति से पूरक तथा रेचक करते है।

  • श्वास सामान्य होने के बाद तीसरा चरण आरम्भ करें।
  • दोनो हाथ घुटनों पर रखें। स्थिरता के लिये दोनो हाथों से घुटने पकङ लें।
  • रीढ व गरदन को सीधा रखें। आँखे कोमलता से बँध रखें।
  • दोनो नासिकाओं से गतिपूर्वक श्वास लें और छोङें (गति से पूरक व रेचक करें)
  • धीमि गति से आरम्भ करें। धीरे-धीरे गति को बढाये।
  • शरीर मे स्थिरता बनाये रखें। शरीर अधिक न हिले। ध्यान श्वासो पर रखें। अपनी क्षमता के अनुसार आवर्तियाँ करें। आरम्भ मे कम आवर्तियाँ करे।
  • गति को धीमि करते हुये वापिस आ जाँये।
  • दोनो हाथ ज्ञानमुद्रा मे ले आँये। श्वास सामान्य करें।

भस्त्रिका करने के बाद उज्जायी प्राणायाम करें। (देखें :- उज्जायी प्राणायाम कैसे करें?)

प्राणायाम की सावधानियाँ :-

यह प्राणायाम सावधानी से किया जाना चहाये।यह प्राणायाम कुछ लोगो के लिये वर्जित है। अत: उनको यह नही करना चहाये। 

  • यह केवल सर्दी के मौसम मे किया जाने वाला प्राणायाम है। इसे गर्मी के मौसम मे नही करना चहाये।
  • हृदय रोगी व श्वास रोगी इस प्राणायाम को न करें।
  • यह गर्भवती महिलाओ के लिये वर्जित है।
  • आँत रोग से पीङित धीमि गति से करें।
  • उच्च रक्तचाप (High BP) वाले व्यक्ति इस प्राणायाम को तीव्र गति से न करे। कम आवर्तियाँ करें।

सूर्यभेदी प्राणायाम।

यह सूर्यनाङी को प्रभावित करने वाला उत्तम प्राणायाम है। सूर्यनाङी शरीर को गर्मी (ऊर्जा) देने वाली नाङी है। अत: शरद ऋतु के लिये यह उत्तम क्रिया है।

  • पद्मासन या सुखासन में बैठे।
  • रीढ व गरदन को सीधा रखें।
  • बाँया हाथ बाँये घुटने पर ज्ञान मुद्रा मे रखें।
  • दाँया हाथ प्राणायाम मुद्रा मे रखते हुये नासिका के पास ले आँये। (अंगूठे के साथ वाली दो उँगलियाँ मोङ लें। अंगूठा नासिका के दाँयी तरफ और दोनो सीधी उँगली नासिका के बाँयी तरफ रखें)
  • उँगली से बाँयी नासिका पर हल्का दबाव बना कर बाँयी नासिका बंध करें।
  • दाँयी नासिका से लम्बा-गहरा श्वास भरें।
  • पूरा श्वास भरने के बाद दाँयी नासिका भी बँध करे। गरदन को थोङा आगे की ओर झुकाएँ। भरे श्वास मे अपनी क्षमता के अनुसार रुके
  • अपनी क्षमता के अनुसार रुकने के बाद बाँयी तरफ से श्वास खाली करे।
  • यह एक आवर्ती पूरी हुई। दूसरी आवर्ती के लिये फिर दाँयी ओर से श्वास भरें और यही क्रिया दोहराये।
  • चार-पाँच आवर्तिया करने के बाद वापिस आ जाँये।
  • दोनो हाथ ज्ञानमुद्रा मे रखे। श्वास सामान्य करें।
प्राणायाम की सावधानियाँ

यह प्राणायाम गर्मी के मौसम मे वर्जित है, इसे केवल शरद ऋतु मे ही करना चहाए। उच्च रक्तचाप (High BP) वाले व्यक्ति इस प्राणायाम को न करें।

सारांश :-

भस्त्रिका व सूर्यभेदी दोनों शरद ऋतु मे किये जाने वाले उत्तम प्राणायाम हैं। ये दोनो ऊर्जा देने वाले प्राणायाम हैं।

Disclaimer :-

लेख में बताए गये अभ्यास केवल स्वस्स्थ व्यक्तियों के लिए हैं। सभी अभ्यास अपने शरीर की क्षमता अनुसार करें। क्षमता से अधिक तथा बलपूर्वक किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है।


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