उज्जायी प्राणायाम थायराइड नियंत्रण के लिये एक प्रभावशाली क्रिया है। यह सरलता से किया जाने वाला एक लाभकारी प्राणायाम है। इस प्राणायाम के और भी कई लाभ हैं। यह प्राणायाम कैसे किया जाता है? और इसके क्या लाभ है? प्रस्तुत आलेख मे यह सब बताया जायेगा।
विषय सुची :-
- उज्जायी प्राणायाम क्या है?
- प्राणायाम की विधि व लाभ।
- सावधानियाँ।
उज्जायी प्राणायाम क्या है?
"उज्जायी" का अर्थ है विजय प्राप्त करना। श्वासों पर विजय प्राप्त करना ही उज्जायी है। यह श्वासो को प्रभावित करने वाला प्राणायाम है। इस क्रिया से थायराइड ग्रँथी प्रभावित होती है। यह हार्मोन्स को संतुलित रखता है। इस के और भी कई लाभ हैं। आईये इसकी विधि और लाभ के बारे मे विस्तार से जान लेते हैं।
उज्जायी प्राणायाम की विधि और लाभ।
उज्जायी प्राणायाम कैसे करें?
इस प्राणायाम को करने के लिये पद्मासन या सुखासन मे बैठना उत्तम है। यदि घुटने मोङ कर बैठने मे परेशानी है, तो सुविधाजनक स्थिति मे बैठें।
विधि :-
- पद्मासन या सुखासन की स्थिति मे बैठें।
- दोनों हाथ घुटनों पर, ज्ञान मुद्रा मे या सुविधा पूर्वक स्थिति में रखें।
- रीढ को सीधा रखें।
- आँखें कोमलता से बंध करें।
- जीभ को पीछे की तरफ मोङ ले।
- गर्दन को आगे की ओर झुका कर ठोडी कण्ठ के साथ लगाएँ।
- अवरुद्ध कण्ठ से हल्के खर्राटे लेते हुये श्वास भरें। और खर्राटे लेते हुये श्वास खाली करें।
- ध्यान को कण्ठ पर केंद्रित करें।
- चार-पाँच आवर्तियाँ पूरी करने के बाद वापिस आ जाएँ। जीभ को सामान्य करे। गरदन को सीधा करे।
- हाथों से गले को हल्का सहलायें। श्वासों को सामान्य करें।
उज्जायी प्राणायाम के लाभ।
यह सरलता से किया जाने वाला प्राणायाम है। लेकिन बहुत लाभकारी है।
- यह थायराइड ग्रँथी को प्रभावित करता है।
- हार्मोन्स को संतुलित करता है।
- रक्त-चाप (BP) को सामान्य करता है।
- शरीर की रशायन क्रिया का संतुलन कायम होता है।
- "विशुद्धि चक्र" प्रभावित होता है।
- कफ, वात और पित को संतुलित करता है।
- तंत्रिकातंत्र को सुदृढ करता है।
- गले के रोग दूर करने मे सहायक होता है।
- इस प्राणायाम को करने से ध्यान की एकाग्रता होती हैं।
भस्त्रिका प्राणायाम के बाद उज्जायी प्राणायाम अवश्य किया जाना चहाये। यह भस्त्रिका के लाभ को बढाने वाला प्राणायाम है।
कितनी देर तक करें?
इस क्रिया को अपने शरीर की क्षमता के अनुसार करें। आरम्भ मे दो या तीन श्वासों मे ही करें। बाद मे इस अभ्यास को धीरे-धीरे बढाएँ। नियमित अभ्यासी 10 - 15 श्वासों मे कर सकते हैं। लेकिन नये अभ्यासी आरम्भ मे एक या दो श्वासों से ही करें।
अभ्यास सरलता से करें। क्रिया को बल पूर्वक बिलकुल न करें। यदि किसी रोग से पीङित हैं तो चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। चिकित्सक की सलाह के बिना इस क्रिया को न करें।
सावधानियाँ :-
यह एक सरल प्राणायाम है लेकिन इसको करते समय कुछ सावधानी रखी जानी चहाये।
- हृदय रोगी व श्वास रोग से पीङित व्यक्ति इस प्राणायाम को न करें।
- गले मे कोई गम्भीर रोग है, तो इस क्रिया को न करें।
- थायराइड अधिक बढा हुआ है, तो चिकित्सक की सलाह के बिना इसे न करें।
- क्रिया को अपनी क्षमता के अनुसार करें। आरम्भ मे कम आवर्तियाँ करे। और धीरे-धीरे आवर्तियाँ बढाएँ।
उज्जायी प्राणायाम एक सरलता से किये जाने वाली क्रिया है। यह बहुत लाभकारी प्राणायाम है। थायराइड नियन्त्रण के लिये उज्जायी प्राणायाम प्रभावी क्रिया है।
Disclaimer :-
किसी प्रकार के रोग का "उपचार करना" इस लेख का उद्देश्य नहीं है। इस लेख का उद्देश्य केवल प्राणायाम के लाभ से अवगत करवाना है। इस लेख मे बताई गई क्रिया स्वस्थ व्यक्तियों के लिये हैं। थायराइड से पीङित व्यक्ति अपने चिकित्सक की सलाह के बिना प्राणायाम न करें।