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रक्तचाप (ब्लड प्रेसर) हमारे शरीर के लिए एक आवश्यक क्रिया है। इसी के कारण हमारे शरीर में रक्त-संचार होता है। यह क्रिया सुचारू रहे, इसके लिए रक्तचाप (BP) का सामान्य होना जरूरी है। आज भाग-दौड़ के जीवन मे  अधिकतर लोग अनियमित रक्तचाप से पीड़ित होते हैं। योगाभ्यास रक्तचाप को नियंत्रित करने मे सहायक होता है। लेकिन उच्च रक्तचाप (High BP) से पीड़ित व्यक्ति को कुछ सावधानियों के साथ अभ्यास करना चाहिए। उच्च रक्तचाप (High BP) नियंत्रण के लिए योग कैसे करें? Yoga for hypertension क्या है?  इस लेख मे इन विषयों पर जानकारी दी जायेगी।

विषय सुची :-

  • High BP को कैसे नियंत्रित करें?
  • रक्त चाप पर योग का प्रभाव।
  • High BP के लिए योगासन।

उच्च रक्तचाप (Hypertension) के लिए योग

उच्च रक्तचाप या High BP का मुख्य कारण है, गलत खान-पान तथा अनियमित जीवन शैली। इन कारणों से रक्त की धमनियो मे धीरे धीरे कोलस्ट्राल जमा होता रहता है। और ये धीरे धीरे संकुचित होने लगती हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों की मान्यता है, कि ऐसा होना हृदय-रोगों का कारण बनता है। 

"हाई बी पी" की परेशानी से बचने के लिए हमे अपने खान-पान को संतुलित करना चाहिए। तथा नियमित योग करना चाहिए। योग द्वारा शरीर के  रक्तचाप (BP) को सामान्य रखा जा सकता है। आसनप्राणायाम द्वारा इस को नियंत्रित किया जा सकता हैं।

उच्च रक्तचाप (Hypertension) को कैसे नियंत्रित करें?

रक्तचाप को सामान्य रखने के लिए कुछ बातो को ध्यान में रखना जरूरी है।

  • संतुलित और सुपाच्य आहार लें।
  • अपनी जीवन शैली को नियमित करे।
  • समय पर सोना, सही समय पर सो कर उठना, तथा नियमित योगाभ्यास को अपने जीवन मे अपनाएं।
  • स्वास्थ्य का "चैक-अप" अवश्य करवाएं। चिकित्सक से सलाह अवश्य ले। 

High BP पर योग का प्रभाव।

चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि रक्तचाप (ब्लड प्रेसर) का सीधा सम्बंध हृदय और श्वासो से है। योग इसके लिए एक प्रभावी क्रिया है। योग मे आसन हमारे शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करते हैं। और प्राणायाम हमारे हृदय व श्वसनतंत्र को सुदृढ करता है। अत: हाई बी पी के लिए योगासन प्रभावकारी हैं।

"योगासन" रक्त चाप को सामान्य करने मे सहायक हैं। आसन शरीर के सभी आन्तरिक व बाह्य अंगो पर प्रभाव डालते हैं। आसन बाहरी अंगो को पुष्टि देते हैं और आंतरिक अंगो जैसे किडनी, लीवर व पैंक्रियाज को भी प्रभावित करते हैं। ये आंतरिक अंग हमारे शरीर मे रसायन निर्माण करते हैं।

इसलिए हमे आसनप्राणायाम दोनो का अभ्यास करना चाहिए। आइए पहले यह जान लेते है कि उच्च रक्तचाप (Hypertension) वाले व्यक्ति आसन कैसे करें?

(पहले आसन करें और आसन के बाद प्राणायाम करें। देखें :- High BP में प्राणायाम कैसे करें? )

आसन में सावधानियां

नियमित आसन करने से शरीर का रक्त चाप सामान्य बना रहता है। लेकिन जो व्यक्ति हाई बी पी से पीड़ित है क्या वे आसन कर सकते है? ऐसे व्यक्तियो को कोन से आसन करने चाहिए, तथा आसन करते समय कोन सी सावधानियां रखनी चाहिए? 

उच्च रक्तचाप (हाई बी पी) वाले व्यक्ति को नियमित आसन करने चाहिए। लेकिन कुछ सावधानियों के साथ आसन करें।

  • High BP वाले व्यक्ति केवल सरल आसन करें। कठिन आसन न करें।
  • तीव्र-गति वाले आसन न करें। धीमी गति से आसन करें।
  • आसन को आरम्भ करने के बाद धीरे-धीरे आसन की पूर्ण स्थिति की ओर जाएं। पूर्ण स्थिति मे पहुंच कर यथा शक्ति रुकें। और धीरे धीरे वापिस आ जाएं। यदि किसी आसन की पूर्ण स्थिति मे पहुंचते समय कष्ट का अनुभव हो, तो आगे न जाए, वही से वापिस आ जाएं।
  • प्रत्येक आसन के बाद विश्राम करें। 
  • बलपूर्वक कोई आसन न करे।
  • जिस आसन को करने मे आनन्द की अनुभूति हो, वह अवश्य करें।

आसन कैसे करें?

प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक अवस्था अलग-अलग होती हैं। अत: आसन करते समय अपने शरीर की स्थिति को अवश्य ध्यान मे रखें। आगे कुछ ऐसे आसनों के बारे मे बताया जाएगा जो High BP वाले व्यक्ति सरलता से कर सकते हैं।

सरल आसन खड़े होकर

Yoga for hypertension. उच्च रक्तचाप नियंत्रण के लिए योग कैसे करें?


आरम्भ में कुछ सरल आसन खड़े होकर करें।

  • योगा-मैट, दरी या कपड़े की सीट बिछाए।
  • सीट पर खड़े हो जाएं।
  • दोनो पैरो को एक साथ रखें।
  • धीरे-धीरे दोनो हाथ ऊपर ले जाएं। श्वास भरते  हुए हाथों को ऊपर की ओर खींचे। (ताड़ासन)
  • श्वास खाली करते हुए आगे झुके।
  • हाथो को नीचे टिकाने का प्रयास करें।
  • सिर को घुटनो के पास ले जाने का प्रयास करें।
  • सरलता से करे। बल प्रयोग न करें।
  • श्वास भरते हुए ऊपर उठें।
  • हाथों को ऊपर की ओर खींचे।
  • हाथो व गरदन को पीछे की ओर  झुकाए। कमर से पीछे की ओर झुकें।
  • धीरे से कमर को सीधा करें। हाथो को नीचे ले जाएं ।
  • सीट पर पैर सीधे करके बैठें। दोनो पैरो मे सुविधा अनुसार दूरी रखें। दोनो हाथ पीछे टिका कर विश्राम करें। गरदन को पीछे ढीला छोड़ दें। 
  • स्थिति सामान्य होने के बाद पश्चिमोत्तान आसन करें।

पश्चिमोत्तान आसन

  • दोनो पैर मिला कर एक साथ रखें।
  • घुटने सीधे रखें, दोनों हाथ घुटनो पर, कमर व गरदन को सीधा रखें।
  • धीरे से दोनो हाथ ऊपर ले जाएं। हाथ ऊपर जाने पर श्वास भरते हुए हाथ ऊपर की ओर खींचे।
  • श्वास बाहर निकलते हुए आगे झुकें। अपनी क्षमता के अनुसार ही झुके।
  • पंजों को पकड़ने का प्रयास करें। सिर को घुटनो के पास ले जाने का प्रयास करें।
  • यथा शक्ति रुकने के बाद श्वास भरते हुए ऊपर उठें।
  • हाथ पीछे टिकाएं, पैरों मे दूरी बनाए और कुछ सेकंड का विश्राम करें।
  • कुछ देर विश्राम करने के बाद दोनो पैरो को मिलाए। हाथों को पीछे रखते हुए काोहनियांं पसलियों के साथ लगाएं। धीरे-धीरे मध्य भाग ऊपर उठाएं। हाथ के पंजों व एड़ियों पर शरीर का संतुलन बनाएं। पैर के पंजों को खींचते हुए सीधा करें।
  • धीरे धीरे मध्य भाग को नीचे टिकाएं।
  • दोनो हाथ दाई तरफ रखें।
  • दोनो मिले हुए पैर बाई ओर मोड़ें।
  • घुटनो के बल वज्रासन में आ जाए।

वज्रासन 

  • पश्चिमोत्तान आसन के बाद दोनो घुटने मोड़ कर वज्रासन की स्थिति मे बैठें।
  • दोनों घुटनों को मिला कर रखें। पैरो के अंगूठे मिले हुए और एड़ियों मे गैप रखें। पंजों को सीधा रखें।
  • दोनों एड़ियों के बीच मे मध्य भाग को टिका कर बैठे।
  • रीढ व गरदन को सीधा रखें।
  • दोनो हाथ घुटनो पर रखें।
  • आखें कोमलता से बंध करे।
  • ध्यान को अपने शरीर पर केंद्रित करें।
  • कुछ देर स्थिति मे बैठे।
  • उसके बाद शशांक आसन करें।
(यदि घुटने मोड़कर बैठने मे परेशानी हो तो यह आसन न करें।)

शशांक आसन

यह वज्रासन की मुद्रा मे किया जाने वाला आसन है।
  • वज्रासन की मुद्रा मे बैठें।
  • धीरे-धीरे दोनो हाथों को ऊपर ले जांएं।
  • श्वास भरते हुए हाथों को ऊपर  की और खींचें।
  • हाथों को गरदन के दांये बांये रखते हुए धीरे-धीरे आगे झुकें।
  • पहले हथेलियां नीचे टिकाये। उसके बाद कोहनियां नीचे टिकाएं। अंत मे माथा घुटनो पास ले आएँ।
  • स्थिति मे अपनी क्षमता के अनुसार रुकें।
  • कुछ देर रुकने के बाद धीरे धीरे ऊपर उठें और वापिस पूर्व स्थिति मे आ जाएं।
  • कुछ देर वज्रासन मे विश्राम करें।
  • विश्राम के बाद पेट के बल स्थिल आसन मे आ जाये और भुजंग आसन करें।
सावधानी :- शशांक आसन मे आगे अपनी क्षमता के अनुसार ही झुकें। अधिक बल प्रयोग न करें।

"स्थिल आसन" दांई ओर से

वज्रासन के बाद पेट के बल स्थिल आसन मे लेट जाएं। और भुजंग आसन का अभ्यास करें।

  • पहले दाई करवट से स्थिल आसन लें।
  • इसके लिए दांया हाथ व दांया पैर सीधा रखें। बायां हाथ व बायां पैर मोडे।
  • गरदन घुमा कर दांया कान नीचे और बांया कान ऊपर की ओर रखें।
  • लम्बे गहरे श्वास लें और छोड़ें। पिछले आसनों के प्रभाव को अनुभव करें। आए हुए तनाव को दूर करें। यह आसन BP को सामान्य करने मे सहायक है। यह ऑक्सीजन लेवल को बढने वाला आसन है।

भुजंग आसन


  • स्थिल आसन के बाद भुजंग आसन की स्थिति मे आ जांएं।
  • सीने व पेट के बल लेटें।
  • दोनों पैरो को मिलाएं। पैरों के पंजे सीधे रखें।
  • माथा नीचे, दोनो हाथ कोहनियों से मोड़े। हथेलियां गरदन के दाएं बाएं रखें।
  • धीरे से सिर को ऊपर उठाएं।
  • सिर अधिकतम ऊपर उठने के बाद सीना (Chest) ऊपर उठाएं। प्रयास करे कि हाथो पर दबाव कम से कम रहे। रीढ के सहारे से उठने का प्रयास करें।
  • सीना अधिकतम ऊपर उठने के बाद कुछ देर रुकें।
  • कुछ देर रुकने के बाद धीरे धीरे वापिस आये।
  • वापसी के लिए पहले सीना नीचे टिकायें। उसके बाद माथा नीचे टिकाएं। बांई ओर से स्थिल आसन मे आ जांये।

"स्थिल आसन" बाई ओर से।

  • भुजंग आसन के बाद बांयी ओर से स्थिल आसन लें।
  • इसके लिये बांया हाथ व बांया पैर सीधा रखें।
  • दांया हाथ व दांया पैर मोड़ कर रखें।
  • गरदन घुमा कर बांया कान नीचे और दांया कान ऊपर रखें।
  • लम्बे-गहरे श्वास लें और छोड़ें।
  • यह विश्राम की स्थिति है। यह आसन BP सामान्य करने मे सहायक होता है। यह ऑक्सीजन लेवल को बढाने वाला आसन है।
  • कुछ देर बांई ओर से स्थिल आसन लेने के बाद स्थिल आसन बदले। दांया हाथ ऊपर ऊठाएं और पीठ के बल आ जाये।

सर्वांग आसन

रक्त संचार के लिये यह उत्तम आसन है। इस आसन मे रक्त का प्रवाह हृदय की ओर होता है। इस से हृदय को पुष्टि मिलती है।

विधि :-

  • पीठ के बल सीधे लेटें।
  • दोनों पैर मिला कर एक साथ रखें।
  • दोनो हाथ शरीर के साथ रखें और हथेलियों का रुख नीचे की ओर रखें।
  • श्वास भरते हुए दोनों पैर धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। घुटनों को सीधा रखें।
  • पैर ऊपर उठने के बाद कुछ देर रुकें।
  • पैरो को थोड़ा सिर की ओर झुकाएं।
  • दोनो हथेलियां कमर पर ले आएं। पैर को ऊपर की तरफ करे।
  • हाथों का सहारा लेते हुए मध्य भाग को ऊपर उठाएं। स्थिति मे कुछ देर रुकें।
  • यथा शक्ति रुकने के बाद वापिस आना आरम्भ करें।
  • धीरे से मध्य भाग को टिकाये। कमर से हाथो को हटाएं।
  • घुटने सीधे रखते हुए धीरे-धीरे पैरो को नीचे लेकर आएं।
  • पैरों मे सुविधा अनुसार दूरी बनाएं। शरीर को ढीला छोड़ कर विश्राम करें।
  • विश्राम के बाद मत्स्य आसन करें। लेटे हुए दोनो पैरो को पद्मासन की स्थिति मे रखें।
  • दोनो हाथों से पैर के अंगूठे पकड़े। कोहनियों का सहारा लेते हुए मध्य भाग को ऊपर उठाने का प्रयास करे। स्थिति मे कुछ देर रुकने के बाद वापिस आ जाएं। पैर सीधा करे। शवासन में विश्राम करें।
सावधानी :- यह आसन हृदय रोगियों को चिकित्सक की सलाह से करना चाहिए। रीढ या आंत की परेशानी वाले व्यक्तियों को यह आसन नही करना चाहिए।

अंत मे शवासन करें।

सभी आसन करने के बाद शवासन अवश्य करें। आसनों से आये हुए तनाव को दूर करें। तथा आसनों के प्रभाव को अनुभव करें।

  • दोनो पैरों मे सुविधा अनुसार दूरी बनाएं।
  • हाथ शरीर के दांये-बांये, और हथेलियां ऊपर की ओर रखें।
  • शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें।
  • आँखें बंद रखें। ध्यान को अपने शरीर पर केंद्रित रखें।
  • शवासन मे कुछ देर रुकने के बाद दोनो हाथो का सहारा लेकर बैठ जाएं। और प्राणायाम करें।
(प्राणायाम के बारे मे हमारा अन्य लेख अवश्य देखें :- उच्च रक्तचाप (High BP) में प्राणायाम कैसे करें?)

लेख सारांश :- रक्त चाप को सामान्य रखने मे योग एक कारगर विधि है। उच्च रक्त चाप (Hypertension) वाले व्यक्ति सावधानी के साथ आसन कर सकते हैं।

Disclaimer :- यह लेख चिकित्सकों द्वारा दी गई सामान्य जानकारी के आधार पर लिखा गया है। यह लेख किसी प्रकार के रोग का उपचार करने का दावा नही करता है। लेख का उद्देश्य केवल योग के लाभ की जानकारी देना है। हृदय रोगी कोई भी आसन चिकित्सक के सलाह के बिना न करें।

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