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हृदय तथा फेफड़े (Heart and Lungs) शरीर के महत्वपूर्ण अंग हैं। प्राण वायु से आक्सीजन को अवशोषित करके रक्त मे मिश्रण करना, कार्बन डाई आक्साईड को अलग करना तथा रक्त का शोधन करना लंग्स का काम है। आक्सीजन मिश्रित रक्त को पम्प करके शरीर मे प्रवाहित करने का कार्य हृदय का है। ये दोनो एक दूसरे के पूरक है। अत: इन दोनो का स्वस्थ रहना जरूरी है। हृदय तथा फेफड़ों के लिये योग कैसे प्रभावी है, प्रस्तुत लेख मे इसी विषय पर विचार किया जायगा।

heart and lungs
pexels photo

हृदय तथा फेफड़ों के लिये प्रभावी योग

'श्वसन-क्रिया' तथा 'रक्त-संचार' शरीर की दोनो महत्वपूर्ण क्रियाएं हैं। इनके बिना जीवन सम्भव नही है। ये कार्य हृदय तथा फेफड़े करते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञ बताते हैं कि इनका प्रभावित होना, अन्य रोगों का कारण बनता है। इनको स्वस्थ रखने के लिये योग विशेष लाभदायी होता है। योगाभ्यास Heart & Lungs को कैसे स्वस्थ रखता है, आईये इस विषय को समझ लेते हैं।

हार्ट तथा लंग्स को योग कैसे स्वस्थ रखता है?

आसन तथा प्राणायाम अष्टांगयोग के महत्वपूर्ण अंग हैं। आज के समय मे स्वास्थ्य के लिये इन दोनो का अभ्यास किया जाता है। ये हृदय तथा फेफड़ों को स्वस्थ रखने मे सहायक होते है।

आसन का प्रभाव :

"आसन" योग का महत्वपूर्ण अंग है। यह एक शारीरिक अभ्यास है। इसका नियमित अभ्यास हृदय तथा लंग्स दोनों को प्रभावित करता है।

आसन का नियमित अभ्यास रक्त-संचार को व्यवस्थित करता है।

रक्त प्रवाह के व्यवस्थित होने से हार्ट तथा लंग्स को मजबूती मिलती है।

इस अभ्यास से रक्तचाप सन्तुलित रहता है।

सन्तुलित रक्तचाप हृदय को स्वस्थ रखने मे सहायक होता है।

प्राणायाम का प्रभाव :

योगाभ्यास मे प्राणायाम एक श्वसन अभ्यास है। इस अभ्यास से फेफड़ों की स्थिलता दूर होती है और ये सक्रिय हो जाते हैं। यह क्रिया हृदय को सुदृढ करती है। प्राणायाम के प्रभाव इस प्रकार हैं :-

• प्राणायाम का नियमित अभ्यास श्वसनतंत्र को सुदृढ करता है।

• यह फेफड़ों की स्थिलता को दूर करके इनको सक्रिय करता है।

• इस अभ्यास से शरीर को आक्सीजन पर्याप्त मात्रा मे मिलती है।

• नियमित प्राणायाम अभ्यास रक्तचाप को सन्तुलित करता है।

• पर्याप्त मात्रा मे आक्सीजन मिलने तथा सन्तुलित रक्तचाप के कारण हृदय स्वस्थ रहता है।

योगाभ्यास सावधानी से करें :

योगाभ्यास मे 'आसन' व 'प्राणायाम' लाभदायी क्रियाएं हैं, लेकिन इनका अभ्यास सावधानी से करना चाहिए। असावधानी से किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है।

सावधानियां आसन में :

क्षमता अनुसार :- योगासन करते समय अपने शरीर की  क्षमता को ध्यान मे रखें। अपनी क्षमता से अधिक तथा बलपूर्वक कोई आसन न करें।

अस्वस्थ होने पर :- अस्वस्थ होने की स्थिति मे आसन का अभ्यास न करें तथा चिकित्सकीय सलाह लें। स्वस्थ होने के बाद अभ्यास करें।

आसन का सही चयन करें :- आसनों का चयन अपने शरीर की अवस्था व अवश्यकता के अनुसार करें।

नये अभ्यासी :- योग के नये अभ्यासी आरम्भ मे सरल आसन करें। कठिन आसनों का अभ्यास न करें।

विश्राम :- आसनों के बीच मे विश्राम अवश्य करें। एक आसन करने के बाद दूसरा आसन करने से पहले कुछ देर विश्राम करें।

सावधानियां प्राणायाम में :

श्वास की क्षमता अनुसार :- प्राणायाम का अभ्यास करते समय अपने श्वासों की स्थिति का अवलोकन करें। यदि श्वासों की स्थिति ठीक नही है तो सरल अभ्यास करें। श्वासों को रोकने का अभ्यास (कुम्भक का अभ्यास) न करें। सुदृढ श्वसन वाले व्यक्ति कुम्भक का प्रयोग करें।

हृदय रोगी तथा श्वास रोगी :- हृदय रोग पीड़ित तथा श्वास रोगी केवल सरल प्राणायाम करें। कुम्भक (श्वास रोकने) का अभ्यास न करें।

बल प्रयोग न करें :- यह एक श्वसन अभ्यास है। इस अभ्यास को सरलता से करें। बलपूर्वक अभ्यास न करें।

मौसम के अनुसार अभ्यास करें :-  किसी एक मौसम मे कुछ प्राणायाम वर्जित होते हैं। अत: इनका अभ्यास उस मौसम मे नही करना चाहिए। कुछ अभ्यास उस मौसम मे लाभदायी होते हैं। इनका अभ्यास अवश्य करना चाहिए।

हृदय तथा फेफड़ों के लिये लाभदायी आसन :

योगाभ्यास मे आसन सम्पूर्ण शरीर के लिये लाभदायी होते हैं। कुछ आसन हृदय तथा लंग्स के लिये विशेष प्रभावी होते हैं। अत: योगासन मे इनका अभ्यास अवश्य करें।

• सूर्य नमस्कार।
• पश्चिमोत्तान आसन।
• अर्ध चक्रासन।
• हलासन।
• सर्वांग आसन।
• मत्स्य आसन।

अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार आसनों का चयन करें। अन्त मे शवासन मे कुछ दे विश्राम करें। उसके बाद प्राणायाम का अभ्यास करें।

प्राणायाम हार्ट व लंग्स के लिये :

हृदय तथा फेफड़ों के लिये प्राणायाम विशेष लाभदायी होते हैं। कुछ प्राणायाम विशेष प्रभावी होते हैं। इनका नियमित अभ्यास किया जाना चाहिए :-

• कपालभाति।
• अनुलोम विलोम।
• भस्त्रिका। (केवल शरद ऋतु में)
• नाड़ी शोधन।

प्राणायाम अभ्यास की आवर्तियां अपने श्वासो की क्षमता अनुसार करें।

सारांश :

हृदय तथा फेफड़ों के लिये योग विशेष लाभदायी होता है। इसके लिये आसन व प्राणायाम दोनो प्रभावी हैं। इनका अभ्यास करते समय कुछ सावधानियों को ध्यान मे रखना चाहिए।

Disclaimer :

यह लेख चिकित्सा हेतू नही है। इस लेख का उद्देश्य केवल योग की जानकारी देना है। प्रस्तुत लेख चिकित्सकों द्वारा दी गई जानकारी तथा योग-साहित्य के आधार पर लिखा गया है। किसी रोग की स्थिति मे योगाभ्यास न करें और किसी योग्य चिकित्सक से सलाह ले। 


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