योग ऋषियों द्वारा बताई गई एक प्राचीन पद्यति है। शारीरिक स्वस्थ्य के लिए इस विधि को उत्तम माना गया है। इस लिए आज पूरा विश्व इसको अपना रहा है। यह केवल मात्र एक शरीरिक अभ्यास नही है, बल्कि इसके प्रभाव बहुआयामी होते हैं। (देखें :- क्या योग एक विज्ञान सम्मत विधि है?
इस अभ्यास मे आसान शरीर के अंगो को मजबूती देते हैं। प्राणायाम श्वास को सुदृढ़ करता है। ध्यान मानसिक शांति देता है। योग के फायदे और नुकसान क्या हैं, प्रस्तुत लेख मे आगे हम इसी का विश्लेषण करेगें।
योग के फायदे और नुकसान क्या हैं
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स्वस्थ्य के लिए योगाभ्यास तीन चरणों में किया जाता है। ये तीनों चरण योग के मुख्य अंग हैं :-
- आसान : शरीरिक अभ्यास
- प्राणायाम : श्वसन अभ्यास
- ध्यान : मानसिक अभ्यास (मेडिटेशन)
ये तीनों लाभदायी और उर्जादायी अभ्यास हैं। लेकिन इनका अभ्यास अपनी क्षमता अनुसार करना चाहिए। कई बार ये अभ्यास नुकसानदायी भी हो जाते हैं। योगाभ्यास कब हानिकारक होता है? इसके फायदे-नुकसान क्या हैं? आइये, इसको विस्तार से समझ लेते हैं।
योगाभ्यास के फायदे
योगाभ्यास सभी व्यक्ति अपने शरीर की क्षमता अनुसार कर सकते हैं। यह अभ्यास सभी के लिए लाभकारी होता है। लेकिन यह अभ्यास कुछ सावधानी तथा सही विधि से करना चाहिए। सही विधि से किया गया योगाभ्यास लाभदायी होता है। इसके बहुआयामी फायदे इस प्रकार हैं :--
- अंगों को मजबूती : योग में आसन का अभ्यास शरीर के अंगों को सक्रिय करता है। इसका नियमित अभ्यास शरीर को मजबूती देता है। यह रीढ़ को फ्लेक्सीबल और स्वस्थ बनाये रखता है।
- रक्तचाप संतुलन : इसका नियमित अभ्यास शरीर के रक्तचाप (BP) को संतुलित करता है। इसक लिए आसन और प्राणायाम दोनों क्रियाएँ प्रभावी होती हैं।
- पाचनतंत्र : यह अभ्यास पेट आंतरिक अंगों को सक्रिय करता है। ये अंग पाचन क्रिया को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। यह कब्ज रोगों से राहत देता है।
- हृदय को मजबूती : नियमित योग का अभ्यास हृदय रोगों से बचाव करने मे सहायक होता है। आसन का अभ्यास रक्त संचार को व्यवस्थित करता है। प्राणायाम हृदय को ऑक्सिजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में करता है।
- श्वसन तंत्र सुदृढ़ : प्राणायाम का अभ्यास फेफडों को सक्रिय करता है। यह श्वसन तंत्र के अवरोधों को दूर करता है। इसका नियमित अभ्यास श्वास रोगों से बचाव करता है।
- शरीर के रसायनों तथा तत्वों का संतुलन : योग का अभ्यास शरीर के कफ, वात, पित्त तथा अन्य रसायनो को संतुलित करता है। इसका अभ्यास शुगर लेवल को संतुलित रखने में सहायक होता है।
- शरीरिक ऊर्जा की वृद्धि : आसन प्राणायाम के अभ्यास शरीर को ऊर्जावान बनाये रखते हैं।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) : यह अभ्यास शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि करता है। यह क्षमता शरीर को रोगों से बचाव करने मे सहायक होती है।
योगाभ्यास के नुकसान
सावधानी से किया गया अभ्यास सदैव लाभकारी होता है। लेकिन असावधानी और नियम विरुद्ध किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है। नियम विरुद्ध किये गए अभ्यास से ये नुकसान हो सकते हैं :-
- मासपेशियों व जोड़ों मे तनाव : नये अभ्यासयो को अभ्यास करते समय कई बार मासपेशियों व जोड़ों मे तनाव आ जाता है। क्षमता से अधिक अभ्यास भी तनाव का कारण बनता है।
- रीढ़ पर दुष्प्रभाव : कई बार गलत आसन का अभ्यास करने के कारण रीढ़ क्षतिग्रस्त हो जाती है। रीढ़ का तनाव या क्षतिग्रस्त होना शरीर के लिए हानिकारक हो जाता है।
- आंतरिक अंगो की क्षति : आंतरिक अंगों पर अनावश्यक दबाव पड़ने पर ये क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इनका क्षतिग्रस्त होना स्वस्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है।
- हृदय रोगी के लिए नुकसानदाई : कुछ अभ्यास रक्तचाप बढ़ाने वाले होते हैं। ये हृदय रोगी के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
- श्वास रोगी के लिए नुकसनदायी : अस्थमा पीड़ित और श्वास रोगी के लिए योगाभ्यास नुकसान का कारण बन जाता है। ऐसे लोगों को कठिन प्राणायाम नही करने चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक : अधिक तनाव वाला अभ्यास गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकरक हो सकता है। विशेषकर गर्भ काल की पूर्ण अवस्था में योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
सावधानियां :
योग का अभ्यास नियम तथा कुछ सावधानियो के साथ करना चाहिए। अभ्यास करते समय क्या करें? क्या न करें? इन बातों को ध्यान मे रखना चाहिए :-
क्या करें :
- समय : योगाभ्यास के लिए सुबह का समय उत्तम होता है। यदि सुबह का समय उपलब्ध न हो तो दिन मे किसी अन्य समय में कर सकते हैं। लेकिन यह अभ्यास खाली पेट से ही किया जाना चाहिये। भोजन करने के तुरंत बाद अभ्यास न करें।
- स्थान : योग का अभ्यास करने के लिए उचित स्थान का चयन करें। पार्क या प्राकृतिक वातावरण वाला स्थान उत्तम होता है। घर पर अभ्यास करना हो तो खुला और हवादार स्थान का चयन करें।
- सही क्रम से अभ्यास : योग का अभ्यास सही क्रम से किया जाना चाहिए। सही क्रम से अभ्यास करने पर अधिक फायदा होता है। इसके लिए पहले आसन का अभ्यास करें, उसके बाद प्राणायाम और अंत में ध्यान का अभ्यास करें। (विस्तार से देखें : योग का सही क्रम)
- शरीरिक अवस्था : अभ्यास करते समय अपने शरीर की अवस्था का अवलोकन करें। यदि आप वृद्ध हैं तो सरल अभ्यास ही करें।
- क्षमता : सभी अभ्यास अपनी क्षमता अनुसार ही करने चाहिए। सरलता और क्षमता अनुसार किये गए अभ्यास से फायदा होता है।
- सही निर्देशन में अभ्यास : नए अभ्यसियों को सही निर्देशन में अभ्यास करना चाहिए।
क्या न करें :
- भोजन के बाद अभ्यास : योग का अभ्यास हमेशा खाली पेट से ही करना चाहिए। भोजन करने के तुरंत बाद अभ्यास नहीं करना चाहिए। यदि खाना खाने के बाद अभ्यास करना हो, तो खाने के दो घंटे के बाद अभ्यास करें।
- गलत स्थान का चयन न करें : प्रदूषण तथा शोर वाले स्थान पर अभ्यास न करें।
- जल्दबाजी मे अभ्यास न करें : योग के सभी अभ्यास शांति से करें। जल्दबाजी में अभ्यास करना हानिकारक हो जाता है। एक अभ्यास करने के बाद कुछ देर तक विश्राम करें। उसके बाद ही दूसरा अभ्यास करें।
- गलत क्रम का अभ्यास : गलत क्रम से किया गया अभ्यास हानिकारक हो सकता है। इस लिए गलत क्रम का अभ्यास न करें।
- रोग की अवस्था में अभ्यास : रोग की स्थित में योगाभ्यास न करें। यदि ऐसा करना हो तो चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
- क्षमता से अधिक अभ्यास : अपने शरीर की क्षमता से अधिक अभ्यास न करें। नये अभ्यासी आरम्भ में कठिन आसन-प्राणायाम का अभ्यास न करें।
निष्कर्ष :
योग ऋषियों द्वारा बताया गया लाभदायी अभ्यास है। यह अभ्यास नियम पूर्वक तथा सही विधि से करना चाहिए। असावधानी से किया गया योगाभ्यास से नुकसान हो सकता है।
Disclaimer :
यह लेख योग-साहित्य से प्राप्त जानकारी अनुसार लिखा गया है। योग के सभी अभ्यास अपनी शरीरिक अवस्था के अनुसार ही करें। नये अभ्यासी कुशल निर्देशन में अभ्यास करें। बल पूर्वक योगाभ्यास से नुकसान हो सकता है।