वजन कम करने के लिए प्राणायाम एक प्रभावी और प्राकृतिक विधि है। यह अभ्यास श्वसन तंत्र को मजबूत करता है, मेटाबोलिज्म को बढ़ता है, तनाव को कम करता है और ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है। इस अभ्यास का पूरा लाभ लेने के लिए पहले योगासन का अभ्यास करना चाहिए। आसन का अभ्यास करने के बाद प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक प्रभावी होता है। (विस्तार से देखें:- Yogasana for weight loss). योगाभ्यास में कुछ विशेष प्राणायाम बताए गए हैं जो वजन घटाने में सहायक होते हैं। प्रस्तुत लेख में आगे इनका विस्तार से वर्णन किया जाएगा।
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वजन घटाने के लिए प्राणायाम
- कपालभाति
- अनुलोम विलोम
- भस्त्रिका
- भ्रामरी
- अग्निसार
इनका अभ्यास सही विधि तथा कुछ सावधानियों के साथ करना चाहिए। आइए, इनके बारे में विस्तार से समझ लेते हैं।
1. कपालभाति प्राणायाम (Kapalbhati Pranayama)
यह कपाल भाग को प्रभावित करने वाला अभ्यास। यह अभ्यास शरीर के कई रसायनों को भी संतुलित करता है, जो शरीर के वजन को कम करने में सहायक होते हैं।
विधि :
- पद्मासन या आरामदायक स्थिति में बैठें।
- रीढ़ को सीधा रखें। आंखे कोमलता से बंध कर लें।
- नासिका से गहरी सांस लें। गति से (Forcefully) सांस बाहर निकलें, पेट को अंदर की ओर खींचें।
- श्वास भरें और यही क्रिया बार-बार दोहराएं। श्वास के लेने की गति सामान्य रखें, बाहर निकलने की क्रिया को गति पूर्वक करें। श्वास छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर खींचें।
- आरम्भ में 15 से 30 सेकंड तक अभ्यास करें। धीरे धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
- अभ्यास के अंत में पूरा श्वास बाहर निकले, पेट को पीछे की ओर खींचें, खाली श्वास की अवस्था में कुछ देर तक रुकें।
- क्षमता अनुसार अभ्यास करने के बाद वापिस आएं। श्वास को सामान्य करें।
इस अभ्यास के लाभ :
- इसका नियमित अभ्यास पेट की चर्बी को कम करता है।
- यह पेट के आंतरिक अंगों को सुदृढ़ करता है।
- इस अभ्यास से पाचन क्रिया को स्वस्थ होती है।
- मेटाबॉलिज्म को सुदृढ़ करता है।
- डिटॉक्सिफिकेशन में सहायक होता है।
इस अभ्यास की सावधानियां :
- उच्च रक्तचाप (High BP) वाले व्यक्ति यह अभ्यास धीमी गति से करें।
- कमजोर श्वसन वाले व्यक्ति श्वास रोकने का अभ्यास न करें।
- गर्भवती महिलाएं यह अभ्यास न करें।
- हृदय रोगी और श्वसन रोगी इसका अभ्यास न करें।
2. अनुलोम विलोम (Anulom Vilom)
कपालभाति के बाद अनुलोम विलोम का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। यह अभ्यास कपालभाति से प्राप्त होने वाली ऊर्जा को संतुलित करता है। मानसिक तनाव शरीर के वजन को प्रभावित करता है। यह मानसिक शांति देने वाला अभ्यास है।
विधि :
- सुविधाजनक स्थिति में बैठें।
- बायां हाथ बाएं घुटने पर ज्ञान मुद्रा में रखें।
- दाएं अंगूठे से दांई नासिका को बंद करें। बाईं नासिका सांस भरे। पूरा श्वास भरने के बाद बाईं नासिका को बंद करें और दाईं तरफ़ से सांस खाली करें। पूरा श्वास खाली होने के बाद दाईं तरफ़ से सांस भरे और बाई तरफ से सांस को बाहर निकलें।
- यह एक आवृति पूरी हुई। इसी प्रकार अन्य आवृत्तियां दोहराएं। आरम्भ में 4-5 आवृत्तियां करें। धीरे अभ्यास बढ़ाएं।
इस अभ्यास के लाभ :
- कपालभाति की ऊर्जा को संतुलित करता है।
- तनाव दूर करता है।
- हार्मोन्स को संतुलित करता है, जो वजन कम करने में सहायक होता है।
- श्वसन तंत्र को सुदृढ़ करता है।
3. भस्त्रिका प्राणायाम (Bhastrika Prnayama)
यह एक महत्वपूर्ण अभ्यास है, जो शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करता है और शरीर के अन्य तत्वों को संतुलित करता है।
विधि :
- पद्मासन या सुखासन की स्थिति में बैठें।
- रीढ़ को सीधा, दोनो हाथ घुटनों पर और आंखे कोमलता से बंध रखें।
- दोनों नासिकाओं से गति पूर्वक सांस भरे और गति पूर्वक सांस बाहर निकलें। धीमी गति से आरम्भ करें और धीरे धीरे गति को बढ़ाए।
- आरम्भ में 15 से 30 सेकंड तक अभ्यास करें। धीरे धीरे अभ्यास को बढ़ाएं।
- क्षमता अनुसार अभ्यास करने के बाद पूरा श्वास बाहर निकलें, पेट को पीछे की ओर खींचें, कुछ देर स्थिति में रुकें। कुछ देर रुकने के बाद श्वास का पूरक करें, श्वास सामान्य करें।
(अधिक जानकारी के लिए विस्तार से देखें : भस्त्रिका प्राणायाम)
- इस अभ्यास से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
- यह अभ्यास ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ा कर फैट बर्निंग करता है।
- यह शरीर में ऊर्जा की वृद्धि करता है।
सावधानियां :
- हृदय रोगी व अस्थमा पीड़ित लोगों को यह अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- यह ऊर्जा देने वाला अभ्यास है, इसलिए गर्मी के मौसम में यह अभ्यास कम मात्रा में ही करना चाहिए।
4.भ्रामरी प्राणायाम (Bhramri Pranayama)
चिंता व मानसिक अशांति वजन बढ़ाने का कारण हो सकती हैं। भ्रामरी प्राणायाम का नियमित अभ्यास इन कारणों को दूर करने में सहायक होता है।
विधि :
- पद्मासन या सुखासन की अवस्था में बैठें।
- रीढ़ को सीधा रखें, आँखें कोमलता से बंद करें।
- दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़ते हुए अंगूठों से कानों को बंद करें।
- लंबा गहरा सांस लें, मुंह को बंद रखें और कंठ से ध्वनि निकालें।
- श्वास खाली होने के बाद फिर से श्वास भरे और ध्वनि निकलने की क्रिया करे।
- 4-5 या आवश्यकता अनुसार आवृत्तियां करें और वापिस आ जाएं। श्वास सामान्य करें।
लाभ :
यह अभ्यास तनाव दूर करके मानसिक शांति देता है।
5. अग्निसार (Agnisar)
शरीर का वजन कम करने के लिए अग्निसार क्रिया का विशेष महत्व है। यह अभ्यास शरीर के अग्नि-तत्व को जागृत करता है, जो पाचन क्रिया सुदृढ़ करता है। यह पेट के आंतरिक अंगों (पैंक्रियाज, लीवर तथा आंत) को सक्रिय करता है।
विधि :
- सुविधाजनक स्थिति में बैठें (पद्मासन में बैठना उत्तम है)।
- रीढ़ व गर्दन को सीधा रखें। आँखें कोमलता से बंद करें।
- दोनों हाथों को घुटनों पर रखें।
- नाक से गहरी सांस लें। पूरा सांस भरने के बाद सांस को बाहर निकलें।
- पूरा सांस बाहर निकलने के बाद खाली श्वास की अवस्था में रुकें, पेट को पीछे की तरफ खींचें और ढीला छोड़ें।
- खाली श्वास की स्थिति में पेट को गतिपूर्वक आगे पीछे क्षमता अनुसार करते रहें।
- श्वास की क्षमता अनुसार अभ्यास करने के वापिस आ जाएं। श्वास को सामान्य करें।
इस अभ्यास के लाभ :
- अग्निसार क्रिया अग्नि तत्व को जागृत करती है। इसका नियमित अभ्यास भूख को बढ़ने वाला, तथा पाचन क्रिया को स्वस्थ रखने वाला होता है।
- पेट के आंतरिक अंगों को सक्रिय करता है, जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है। सही पाचन के कारण शरीर में अतिरिक्त वसा का निर्माण नहीं होता।
- इस क्रिया से शरीर की चयापचय दर (Metabolic Rate) की वृद्धि होती है।
- कैलोरी बर्न करने की क्षमता में सुधार होता है।
- पेट के संकुचन और शिथिलीकरण (पेट को आगे-पीछे करने) से बेली-फैट कम होता है।
इस अभ्यास की सावधानियां :
- गर्भवती महिलाएं, अल्सर, हर्निया, हृदय रोगी तथा High BP वाले व्यक्ति यह अभ्यास न करें।
- श्वास बलपूर्वक अधिक देर तक न रोकें।
- क्षमता से अधिक अभ्यास न करें।
निष्कर्ष :
सही आहार और नियमित योगाभ्यास शरीर के वजन को संतुलित करने में सहायक होते हैं। योग का अभ्यास शरीर के आंतरिक अंगों को सक्रिय करता है और शरीर के तत्वों को संतुलित करता है। ये बढ़ते वजन को कम करने में सहायक होते हैं। इसके लिए आसन के साथ प्राणायाम का अभ्यास करना अधिक प्रभावी होता है।
Disclaimer :
वजन बढ़ने का कोई अन्य शारीरिक कारण भी हो सकता है। इसलिए चिकित्सक से जांच करवाएं और चिकित्सक की सलाह से अभ्यास करें। यह लेख चिकित्सा हेतु नहीं है। योग की सामान्य जानकारी देना इसका लेख का उद्देश्य है। लेख में बताए गए सभी अभ्यास अपने शरीर की क्षमता अनुसार ही करें। बलपूर्वक और क्षमता से अधिक अभ्यास करना हानिकारक हो सकता है।